संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को मांग पत्र भेजकर आउटसोर्सिंग व्यवस्था को समाप्त करने और उन सभी कर्मचारियों को 2001 से पहले की निति के तहत समायोजित किये जाने की मांग की है।
आउटसोर्सिंग की व्यवस्था को समाप्त करने और कर्मचारियों को समायोजित किये जाने की मांग उठी है। उत्तर प्रदेश संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की ओर से प्रधानमंत्री जी को संबोधित पत्र भेजा गया है। इस मांग पत्र के माध्यम से सरकारी अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों और दूसरे विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को वर्ष 2001 से पहले की नियमावली के तहत समायोजित किये जाने की मांग की गई है।
उत्तर प्रदेश संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश के महामंत्री सच्चितानंद मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री जी को 05 सूत्री मांग पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से विभिन्न पदों पर लाखों कर्मचारी 10 सालों से अधिक समय से अपनी सेवाएं सुचारू रूप से दे रहे हैं। आउटसोर्स व्यवस्था के तहत कार्यरत योग्य और अनुभवी युवाओं का समय व भविष्य दोनों खराब हो रहा है।
ज्यादातर की उम्र भी 40 साल के पार हो चुकी है। ऐसे में उन्हें किसी दूसरे सरकारी या अर्द्धसरकारी विभाग में बेहतर नौकरी मिलना मुश्किल है। आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को केंद्र सरकार के न्यूनतम वेतन से भी कम वेतन दिया जा रहा है। किसी पद के अनुसार कोई वेतनमान निर्धारित नहीं है।
संघ द्वारा की गयी मांग में कहा गया कि जिस प्रकार से वर्ष 2001 से पहले के संविदा व दैनिक वेतनभोगी और वर्कचार्ज पर लगे सभी कर्मचारियों को समायोजित किया गया। ठीक उसी प्रकार से आउटसोर्स कर्मियो को भी सीधे विभाग में समायोजित किया जाए और कर्मचारियों को सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से आउटसोर्स पर रखने की व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया जाये। जिससे कर्मचारियों का भविष्यि सुधर सके और उनको पूरा वेतन मिल सके।