UP Samvida Worker Regularization 2024: दिसंबर 2001 के पहले तक संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे शहरी निकायों के कर्मचारियों की नौकरी पक्की किए जाने की तैयारी है। स्थानीय निकाय निदेशालय ने सभी शहरी निकायों से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है। शहरी निकायों से सहमति का प्रस्ताव मिलने के बाद वित्त और कार्मिक विभाग से सहमति लेकर स्थायीकरण के आदेश जारी किए जाएंगे।
प्रदेश भर के कर्मचारी और शिक्षक संगठन संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की मांग कर रहे थे। कर्मचारी और शिक्षक संगठनों की मांग देखते हुए कार्मिक विभाग ने साल 2016 में एक विनियमितीकरण नीति तैयार की थी।
यूपी संविदा कर्मी नियमितिकरण 2024
इस नीति के मुताबिक दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे संविदा या डेलीवेज कर्मचारियों को रिक्तियों के पदों पर विनियमित किया जाना था। कार्मिक विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियों के साथ प्रस्ताव विचाराधीन कर दिया था। अब शहरी निकायों में काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की तैयारी शुरू हो गई है।
सूत्र बताते हैं कि शहरी निकाय अपने संसाधनों से ही विनियमित होने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह आदि का खर्च वहन करेंगे। इससे सीधे तौर पर सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। लिहाजा, विनियमितीकरण के आदेश में लगा सबसे बड़ा पेच समाप्त हो जाएगा और कर्मचारियों के विनियमित होने के रास्ता साफ हो जाएगा।
कर्मचारियों के दबाव का असर?
शहरी निकायों के कर्मचारी लगातार विनियमितीकरण के संबंध में शासन में दबाव बना रहे हैं। बीते दिनों कर्मचारी संगठनों ने शासन को नोटिस भी जारी किया था कि अगर उनकी पुरानी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे आंदोलन तेज करेंगे और काम बंदी का भी फैसला लिया जा सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार‚ कर्मचारियेां के आक्रोश में होने के कारण रूकी हुई प्रक्रिया को शुरू किया गया है। कि शासन पर वित्तीय बोझ न पड़े, इसलिए वित्त विभाग ने कार्मिक विभाग का प्रस्ताव विचाराधीन रखा है। हालांकि, विनियमित किये जाने वाले इन कर्मचारियों पर आने वाले खर्च का वहन शहरी निकाय खुद करें। इससे वित्त विभाग की बड़ी आपत्तियों में से एक समाप्त भी हो जाएगी और कर्मचारियों का विनियमितीकरण भी हो जाएगा।